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मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

World water day

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विश्व जल दिवस: जल और जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया में तेज़ी से पांव पसार रही वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से लड़ाई में इंसानो के लिए सबसे बड़ा वरदान बनी सफाई जिस द्रव पदार्थ के कारण संभव हो पा रही है, वह है जल। जल है तो पर्यावरण है और पर्यावरण है तो शुद्ध जलवायु है। साथ ही शुद्ध जलवायु है तभी इंसान का तन-मन स्वस्थ है। जल है तो जीवन है। लेकिन कभी सोचा है कि हमें जरूरत पड़ने पर यह जल न मिल पाए तो हमारा जीवन कैसा होगा ? डब्ल्यूएचओ की साल 2019 की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के एक तिहाई लोगों को पीने का शुद्ध जल नही मिल पाता, जिसमें दुनिया की 2.2 अरब आबादी आती है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखने हुए हर साल 22 मार्च को 'विश्व जल दिवस' मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य जल की हर एक बूँद को बचाना और प्रकृति के इस अनमोल वरदान के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना है। साल 2020 के लिए 'विश्व जल दिवस' का थीम "जल और जलवायु परिवर्तन" रखा गया है, जो एक-दूसरे के पूरक है। जल और जलवायु परिवर्तन एक सिक्के के दो पहलू है। जलवायु परिवर्तन की समस्या पूर्ण रूप से जल से जुड़ी हुई है। जिसने

Successfully done janta curfew

एक सूत्र में पिरोया दिखा पूरा भारत पूरी दुनिया के लिए खतरा बन चुके कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए रविवार को भारत एक सूत्र में पिरोया हुआ नज़र आया। देश के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील पर जनता कर्फ्यू के दौरान जिस तरह से खुद को घरों में सीमित रखा, वह लोगों के सामूहिक संकल्प शक्ति की अभूतपूर्व और अद्भुत मिसाल है। देश में यह मिसाल इसलिए कायम हो सकी,क्योंकि देश की जनता ने संकट की इस घड़ी में संयम और अनुशासन का परिचय दिया। इस जनता कर्फ्यू के दौरान लोगों ने न केवल संयम का उदाहरण पेश किया, बल्कि शाम को 5 बजते ही अपने-अपने अंदाज़ में उन सभी का अभिनंदन और आभार भी व्यक्त किया जो ऐसी स्थिति में भी लोगों के जीवन की रक्षा के लिए दिन-रात बिना किसी स्वार्थ के लगे हुए हैं। न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में तेज़ी से पांव पसार रहे खतरनाक कोरोना वायरस से हमारी सुरक्षा करने वाले चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस कर्मियों के साथ उन सबका अभिनंदन करना बेहद आवश्यक था, जो हमारे लिए जरूरी सेवाओं को व्यवस्थित रूप से चलाने में एकजुटता से काम कर रहे हैं।  देश के लोगों ने जनता कर

Nirbhya Verdict

निर्भया के भय का हुआ अंत, आत्मा को मिली शांति साल 2012 की वो खौफनाक रात, जिसने देश को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया, कोई नहीं भूल सकता है। आज एक बार फिर उस दर्दनाक रात की यादें ताजा हो गई, जब सुबह-सुबह निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया। 7 साल 3 महीने के इंतजार के बाद आखिरकार देश की बेटी निर्भया को इंसाफ मिल ही गया। खैर 7 साल का समय कम नहीं होता है उस परिवार के लिए, जिसने अपनी संतान को खोया और इंसाफ के लिए 7 साल से अधिक संघर्ष किया। इस संघर्ष में ना जाने कितने दिन और साल गुजर गए। बेशक निर्भया अब वापस नहीं आ सकती है, लेकिन अपने दोषियों की फांसी से आज उसकी आत्मा को शांति जरूरी मिली होगी। 16 दिसंबर 2012 की उस रात को केवल निर्भया के साथ दरिंदगी नहीं हुई बल्कि मानवता भी शर्मशार हुई, लेकिन कई मुश्किलों और परेशानियों के बाद निर्भया को इंसाफ मिल गया। निर्भया को सात साल से ज्यादा का वक्त लग गया लेकिन उसे इंसाफ मिला, इसके साथ ही देश में अभी भी प्रतिदिन बलात्कार की घटना तेजी से सामने आती रहती है। जिनमें से कई लोग तो रिपोर्ट भी नहीं करते, जिसके कारण कई मामलें सामने नही आ

Delhi Violence

दिल्ली   हिंसा में हुई   मौतों का कौन है जिम्मेदार ? CAA ( नागरिकता संशोधन कानून) के विरोध में देश  की राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा ने 40 से अधिक लोगों की जिंदगी को लील लिया। दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान देश की राजधानी में हुई इस प्रकार की हिंसा, भारत की छवि को किसी ना किसी प्रकार से दुनिया के सामने धुमिल करने का कार्य करती है। हालांकि सरकार ने इसके लिए अच्छी कोशिश की अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने देश की छवि धुमिल ना हो और सरकार काफी हद तक इसमें कामयाब भी रही। लेकिन बात यह है कि क्या दिल्ली की हिंसा को रोकने और दुनिया के सामने देश की छवि को उज्जवल करने की जिम्मेदारी केवल सरकार की है। देश के प्रति आम नागरिक और दिल्ली की सरकार एवं न्यायालय की कोई जिम्मेदारी नहीं है।      क्यों हुई हिंसा देश में CAA ( नागरिकता संशोधन कानून) कानून को लागू ना करने को लेकर शुरु हुए विरोध प्रदर्शन ने कब हिंसा का रूप अख्तियार कर लिया, किसी को पता नहीं चला। हमारे देश में बेसक लोकतंत्र है और सभी को अपनी बात रखने की आज़ादी भी है। लोग सड़क पर बैठन