World Earth Day
कोरोना संक्रमण के बीच निखर रही पृथ्वी की छवि आजकल सुबह की हवाओं में कुछ अलग ही बयार बह रही है। उठते ही मन प्रसन्न और तरोताज़ा हो जाता है। ऐसा लगता है कि जिस प्रकृति के प्रति हम अपने लगाव को कहीं ना कहीं भूल गए थे वहीं कुद़रत हमें गले लगाने को आतुर हो रही है। जिस प्रकृति को हम इंसानों ने धुमिल कर दिया था, आज उन्हीं इंसानों के घरों में रहने के कारण कुद़रत की छवि निखर रही है। एक तरफ जहां वैश्विक महामारी बन चुका कोरोना वायरस का बढ़ता संक्रमण चिंता का विषय है तो वहीं दूसरी तरफ इन सब के बीच कुद़रत का निखरता स्वरूप ना केवल दिल को सुकून देने वाला है बल्कि दिमाग को आत्मसात करने वाला भी है। कोरोना महामारी से दुनिया के तमाम देशों में लॉकडाउन होने के कारण करोड़ों लोग अपने घरों में रह रहे है। इसकी वजह से बेश़क लोगों को कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन ऐसे समय में हमारी प्रकृति मुस्कुरा रही है। आसमान के सुन्दरता की चमक निखर रही है, हवाओं के बयार में अलग तरह की खुशबू का एहसास है साथ ही नदियां स्वच्छता की हिलोरे मार धरती को पावन बना रही है। जिस पतित पावनी गंगा की सफाई